धरम तिवारी दीपका कोरबा । जिले में स्थित विनोबा भावे स्कूल, 2007 बैच के विद्यार्थियों ने 18 वर्षों बाद एक बार फिर से अपने बचपन की यादों को ताज़ा किया। मीरा रिसॉर्ट, उरगा में आयोजित “मित्र मिलन समारोह” में छात्र-छात्राएं वर्षों बाद एक साथ मिले और बचपन की सुनहरी यादों को साझा किया।
सोशल मीडिया व्हाट्सएप बना पुनर्मिलन का माध्यम
स्कूल के बाद सभी छात्र अपने-अपने जीवन में व्यस्त हो गए थे। कोई शिक्षक बना, कोई डॉक्टर, कोई बैंक मैनेजर, कोई पुलिस अधिकारी, कोई व्यवसाई तो कोई पत्रकार या नेता। वर्षों बाद एक-दूसरे से संपर्क कर पाना मुश्किल हो गया था। इस दूरी को कम किया व्हाट्सएप ने।
हेमलता अग्रवाल ने पुराने दोस्तों को जोड़कर समन्वय किया। आयोजन की रूपरेखा तय करने में अनिता चंद्रा और अंजुम बानो ने अहम भूमिका निभाई। वहीं, कार्यक्रम स्थल और भोजन व्यवस्था में निलेश साहू, राहुल साहू, और अन्य ने सहयोग दिया।
इन छात्रों की रही मुख्य उपस्थिति
कार्यक्रम में शामिल होने वालों में शामिल रहे: निलेश साहू, गजेंद्र सिंह राजपूत, राहुल साहू, राहुल नवरंग, प्रदीप दुबे, गोविंद साहू, सुमित यादव, रितेश गिरी, दिनेश चंद्रा, सुनील सागर, पप्पू बरवे, रुपेश चौहान, सतीश कुशवाहा, शिवदयाल कंवर, अनिता चंद्रा, रश्मि सिंह, अंजुम बानो, मधु राठौर, वंदना कन्नौजे, मंजूलता दास, केशरी राठौर, गीतू सोनी साथ ही, कुछ मित्र वीडियो कॉल के माध्यम से जुड़े।
कविता, संगीत और नृत्य से सजा आयोजन
मित्र मिलन समारोह सिर्फ मुलाकात तक सीमित नहीं रहा – संगीत, नृत्य और हास्य से पूरा माहौल जीवंत हो उठा। कुछ ने कविताएं सुनाकर दोस्ती के मायनों को उजागर किया तो कुछ ने नृत्य और गायन से समां बांधा।
यादें, अनुभव, भावनाएं और वादे
सभी ने स्कूल की शरारतें, टीचर्स की डांट-प्यार और क्लासरूम की मस्ती को याद किया।
– जीवन में आई कठिनाइयों, संघर्षों, सफलता और अनुभवों को साझा किया।
-18 वर्षों बाद भी दोस्ती की वो ही गर्माहट, वो ही अपनापन महसूस हुआ। सभी ने वादा किया कि हर सुख-दुख में एक-दूसरे के साथ खड़े रहेंगे|
– कुछ पल बेहद भावुक भी रहे, जब दोस्तों ने अपने जीवन के उतार-चढ़ाव बयां किए।
सबने एक सुर में साथ निभाने का लिया संकल्प
अंत में सभी ने एक सुर में यह संकल्प लिया कि हम सभी दोस्त हर परिस्थिति में एक-दूसरे का साथ निभाएंगे, चाहे सुख हो या दुख। यह मिलन न केवल यादों को ताज़ा करने का माध्यम बना, बल्कि जीवन को नई ऊर्जा और सकारात्मकता से भर गया।
ऐसा लगा मानो हम फिर से स्कूल के दिनों में लौट आए। इतने वर्षों बाद भी दोस्ती उतनी ही मजबूत और सजीव है। अब हर वर्ष ऐसे आयोजन होंगे, ताकि ये बंधन कभी ना टूटे।